
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने ‘उम्मीद’ पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाने से संबंधित याचिकाओं पर 1 दिसंबर 2025 को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
याचिकाओं का आधार
अभियोजकों का कहना है कि सभी वक्फ संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर अपलोड करने की छह महीने की समय सीमा समाप्त होने वाली है। इस समय सीमा को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए बनाई गई वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण सुचारू रूप से पूरा किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की पहल
- न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाओं को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
- अदालत ने पिछले अंतरिम आदेश में कहा था कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई गई थी, लेकिन पूरे कानून पर रोक नहीं लगी।
- अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हालिया संशोधित कानून में ‘उपयोग के आधार पर वक्फ’ प्रावधान हटाना मनमाना नहीं था।
‘उपयोग के आधार पर वक्फ’ का मतलब
इस प्रावधान के तहत किसी संपत्ति को धार्मिक या धर्मार्थ संपत्ति (वक्फ) के रूप में मान्यता दी जाती है। केंद्र सरकार ने सभी वक्फ संपत्तियों की जियो-टैगिंग कर ‘उम्मीद’ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल सूची तैयार करने का काम शुरू किया था।
क्या है अगला कदम
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद तय होगा कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की समय-सीमा बढ़ेगी या नहीं। इस फैसले का असर पूरे देश में पंजीकृत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके डिजिटल रिकॉर्ड पर होगा।