Monday, December 15

Assam

असम सीएम हिमंता बिस्व सरमा का दावा: चाहे 1 लाख दें, मुसलमान वोट नहीं देंगे
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असम सीएम हिमंता बिस्व सरमा का दावा: चाहे 1 लाख दें, मुसलमान वोट नहीं देंगे

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने मंगलवार को कहा कि असम में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और इस समुदाय के मतदाता किसी भी वित्तीय प्रोत्साहन के बावजूद उन्हें वोट नहीं देंगे। उन्होंने यह टिप्पणी बिहार में महिलाओं को 10,000 रुपये देने वाली योजना के संदर्भ में की थी। सीएम हिमंता ने कहा, "चाहे मैं 10 हजार रुपये दूँ या 1 लाख रुपये, कोई भी मुसलमान मुझे वोट नहीं देगा। असम के चुनाव में मतदान सरकारी योजनाओं या वित्तीय लाभ से नहीं, बल्कि विचारधारा और पहचान से प्रभावित होता है।" उन्होंने आगे कहा कि असम में मूल आबादी जनसांख्यिकीय दबाव के कारण अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। उन्होंने अनुमान लगाया कि वर्ष 2021 में मुस्लिम आबादी लगभग 38 प्रतिशत थी, जो लगातार वृद्धि के बाद 2027 तक 40 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। अगर यह 50 प्रतिशत से ऊपर चली गई तो अन्य समुदायों के अस्तित्व पर...
असम हिंसा की सच्चाई 41 साल बाद खुली: कांग्रेस ने दबाई थी तिवारी आयोग की रिपोर्ट
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असम हिंसा की सच्चाई 41 साल बाद खुली: कांग्रेस ने दबाई थी तिवारी आयोग की रिपोर्ट

गुवाहाटी। असम में जमीन और पहचान को लेकर बनाई गई एक विवादित रिपोर्ट 41 साल बाद सार्वजनिक हुई। यह रिपोर्ट त्रिभुवन प्रसाद तिवारी आयोग द्वारा जनवरी-अप्रैल 1983 में तैयार की गई थी और तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे दबाकर रखा था। रिपोर्ट में 1983 के नेल्ली नरसंहार और अन्य उपद्रवों की वास्तविक वजहों का खुलासा किया गया है। तिवारी आयोग की रिपोर्ट: क्या है सच? आयोग ने अवैध आव्रजन, भूमि कब्जा और असमिया पहचान को लेकर कई महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि 1983 के दंगे किसी एक धर्म, जाति या भाषाई समूह के खिलाफ नहीं थे। हिंसा का खामियाजा समाज के सभी वर्गों ने भुगता। भूमि विवाद और आर्थिक हित टकराव इन दंगों के प्रमुख कारण थे। अवैध अप्रवासियों द्वारा भूमि पर कब्जा असमिया लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या थी। पूर्व न्यायाधीश तिवारी ने यह भी लिखा कि 1979 के बाद अतिक्रमण क...
3000 मौतों का गुनाहगार कौन? 42 साल बाद खुलीं नेल्ली नरसंहार की दो रिपोर्टें, असम में कांग्रेस घिरी
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3000 मौतों का गुनाहगार कौन? 42 साल बाद खुलीं नेल्ली नरसंहार की दो रिपोर्टें, असम में कांग्रेस घिरी

असम की हिमंत बिस्व सरमा सरकार ने राज्य विधानसभा में नेल्ली नरसंहार से जुड़ी दो अहम जांच रिपोर्टों को सार्वजनिक कर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। 1983 के विधानसभा चुनावों के दौरान हुए इस भयावह नरसंहार में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1,800 लोग मारे गए थे, जबकि गैर-सरकारी रिपोर्टों में यह संख्या 3,000 तक बताई गई। मरने वालों में अधिकांश बंगाली भाषी मुसलमान थे। सरकार द्वारा पेश की गई टी.पी. तिवारी आयोग और जस्टिस टी.यू. मेहता आयोग की रिपोर्टों के निष्कर्ष एक-दूसरे के विपरीत हैं। तिवारी आयोग ने जहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार और चुनाव कराने के फैसले को जिम्मेदार नहीं माना, वहीं मेहता आयोग ने सीधे तौर पर इंदिरा गांधी सरकार के चुनाव कराने के निर्णय को नरसंहार की वजह बताया। आंदोलन, तनाव और चुनाव का फैसला 1979 से 1985 के बीच असम में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर बड़ा आंदोलन चला। असमिया संगठनों—AASU और A...
असम में बहुविवाह पर सख्ती: विधानसभा में बिल पेश, दोषी को 7 से 10 साल की जेल का प्रावधान
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असम में बहुविवाह पर सख्ती: विधानसभा में बिल पेश, दोषी को 7 से 10 साल की जेल का प्रावधान

गुवाहाटी। असम सरकार ने राज्य में बहुविवाह की प्रथा पर पूर्ण रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को विधानसभा में 'द असम प्रोहिबिशन ऑफ पॉलीगैमी बिल, 2025' पेश किया। इस प्रस्तावित कानून के तहत पहली बार बहुविवाह करते पकड़े जाने पर सात साल तक की जेल और दोबारा अपराध करने पर दस साल तक की सजा का प्रावधान रहेगा। स्पीकर विश्वजीत दैमरी की अनुमति के बाद सीएम ने यह बिल सदन में रखा। हालांकि विपक्षी दलों कांग्रेस, सीपीआई(एम) और रायजोर दल के विधायक इस बीच बिल का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर गए। किन क्षेत्रों में लागू होगा कानून? बिल के अनुसार यह कानून पूरे असम में लागू होगा, लेकिन छठी अनुसूची वाले स्वायत्त क्षेत्रों और संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत परिभाषित अनुसूचित जनजातियों को इससे छूट दी गई है। बहुविवाह होगा आपराधिक जुर्म बिल में स्पष्ट क...
असम में मतदाता सूची का ‘स्पेशल रिविजन’, NRC की पृष्ठभूमि में बड़ा फैसला SIR नहीं, चुनाव आयोग करेगा विशेष पुनरीक्षण—जानिए दोनों में क्या अंतर
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असम में मतदाता सूची का ‘स्पेशल रिविजन’, NRC की पृष्ठभूमि में बड़ा फैसला SIR नहीं, चुनाव आयोग करेगा विशेष पुनरीक्षण—जानिए दोनों में क्या अंतर

गुवाहाटी। असम में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग (ECI) ने मतदाता सूचियों का ‘विशेष पुनरीक्षण’ (Special Revision – SR) कराने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य की विशिष्ट नागरिकता व्यवस्था और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) से अलग होगी। क्यों लिया गया यह निर्णय? असम में नागरिकता से जुड़े कानूनी प्रावधान अन्य राज्यों की तुलना में भिन्न हैं। 2019 में तैयार हुआ NRC अभी अंतिम रूप से प्रकाशित नहीं हो सका है और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में SIR जैसी प्रक्रिया, जिसमें पात्रता की जांच के लिए दस्तावेज़ मांगे जाते हैं, NRC डेटा के साथ टकराव पैदा कर सकती थी।इसी वजह से आयोग ने SR को अपनाया ह...
असम मंत्री का ट्वीट फिर से याद दिलाया भागलपुर दंगा: गोभी की खेती से जुड़ा पुराना कत्लेआम
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असम मंत्री का ट्वीट फिर से याद दिलाया भागलपुर दंगा: गोभी की खेती से जुड़ा पुराना कत्लेआम

गुवाहाटी/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद असम के स्वास्थ्य मंत्री अशोक सिंघल के एक ट्वीट ने राजनीतिक हलचल मचा दी। मंत्री ने बिहार में “गोभी की खेती” को लेकर तस्वीर साझा की, लेकिन कांग्रेस और टीएमसी नेताओं ने इसे विवादित करार दिया। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने ट्वीट को 1989 के भागलपुर दंगों से जोड़ते हुए आलोचना की। भागलपुर दंगा 24 अक्टूबर 1989 को शुरू हुआ था, जब रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान शिला पूजन का जुलूस मुसलमान बाहुल्य ततारपुर इलाके में निकाला गया। पुलिस की मौजूदगी और स्थानीय विवाद के कारण हिंसा भड़क गई। दंगों में करीब 900 से 1,000 लोग मारे गए और लगभग 200 गांव प्रभावित हुए। सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि हत्या के बाद शवों को दफनाकर उनके ऊपर गोभी की खेती की गई। यही कारण है कि “गोभी की खेती” का संदर्भ आज भी भागलपुर दंगे की एक दुखद याद के रूप में जुड़ा हुआ है। कांग्र...
जुबिन गर्ग मामले में असम के मुख्य सूचना आयुक्त भास्कर ज्योति महंत का इस्तीफा, भाई श्यामकानु गिरफ्तार
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जुबिन गर्ग मामले में असम के मुख्य सूचना आयुक्त भास्कर ज्योति महंत का इस्तीफा, भाई श्यामकानु गिरफ्तार

गुवाहाटी: असम के मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) भास्कर ज्योति महंत ने गायक जुबिन गर्ग की रहस्यमय मौत से जुड़े मामले में अपने भाई की गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्यपाल को पत्र भेजकर इस्तीफे की घोषणा की। क्या कहा भास्कर ज्योति महंत ने? महंत ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि, "मेरे भाई श्यामकानु महंत का नाम हाल ही में जुबिन गर्ग की मृत्यु से जुड़ा है। मेरी अंतरात्मा मुझसे कह रही थी कि यदि कोई मेरे भाई के बारे में जानकारी मांगे, तो मुझे अपनी जिम्मेदारी से इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि लोगों के मन में किसी प्रकार का संदेह या आशंका न रहे।" महंत ने यह भी बताया कि उन्होंने इस निर्णय की सूचना पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय को दे दी थी। वह असम पुलिस के महानिदेशक (DGP) पद से रिटायर होने के बाद 5 अप्रैल 2023 को CIC के रूप में नियुक्त हुए थे। जुबिन गर्ग की मौत गायक जुबि...
बिहार में चुनावी रैली के दौरान असम सीएम हिमंत बिस्व सरमा का राहुल गांधी पर तीखा हमला
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बिहार में चुनावी रैली के दौरान असम सीएम हिमंत बिस्व सरमा का राहुल गांधी पर तीखा हमला

गुवाहाटी/कटिहार: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बिहार के कटिहार में अपनी चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने राहुल गांधी को “देशद्रोही” और “पागल आदमी” कहा और उनके दिमाग का पेच ढीला होने तक का आरोप लगाया। 🔹 हिमंत सरमा का आरोप: हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राहुल गांधी देश के दुश्मनों द्वारा बनाए गए प्लान का हिस्सा हैं। उन्होंने न्यायपालिका और सेना सहित देश की संस्थाओं पर सवाल उठाने और लोगों को बांटने का आरोप राहुल गांधी पर लगाया। सरमा ने कहा, “राहुल गांधी सेना में 10-20 प्रतिशत की बात करते हैं। क्या आप युद्ध के समय सेना को केवल कुछ प्रतिशत में बाँटेंगे? उन्हें आधिकारिक तौर पर पागल घोषित कर देना चाहिए।” 🔹 सैनिकों का अपमान और देशद्रोह का आरोप सरमा ने आगे कहा कि राहुल गांधी का बयान कि सेना देश की 10% आबादी के नियंत्रण में है, सैनिकों...