
नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले हफ्ते 4-5 दिसंबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं। यह 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा। भारत सरकार के अनुसार, पुतिन 4 दिसंबर की शाम दिल्ली पहुंचेंगे और अगले दिन यानी 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
दौरे का मकसद और महत्व
इस दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में कई समझौतों (MoUs) पर मुहर लगने की संभावना है। यह यात्रा दोनों देशों के ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को और मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है। साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होगा।
विशेष रूप से यह यात्रा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पुतिन की भारत की पहली यात्रा होगी। पश्चिमी देशों की भी इस दौरे पर बारीकी से नजर रहेगी। भारत के लिए यह यात्रा अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हुए रणनीतिक समझौतों को सुनिश्चित करने की परीक्षा भी है।
भारत-रूस संबंध और बातचीत के एजेंडे
- दोनों देशों के नेता द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।
- व्यापारिक और रक्षा साझेदारी को बढ़ाने के लिए MoUs पर हस्ताक्षर होंगे।
- क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर आपसी लाभ के लिए चर्चा होगी।
- रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत की संभावना है, खासकर अमेरिका द्वारा प्रस्तुत 28 सूत्रीय सुलह योजना के संदर्भ में।
कुल मिलाकर
पुतिन का यह दौरा दोनों देशों के रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने के साथ-साथ वैश्विक मंच पर उनकी साझेदारी को और प्रकट करने का अवसर होगा। यह दौरा भारत की विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्तता की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।