विधायक बदले, सांसद बदले, सरकारें बदलीं… लेकिन नहीं बदली झरिया की किस्मत, आज भी बूंद-बूंद पानी को तरसते हैं लोग
धनबाद। देश की कोयला राजधानी झरिया, जहां धरती के नीचे काले हीरे (कोयला) का अपार भंडार है, वहीं ऊपर रहने वाले लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर हैं। दशकों से चली आ रही जल संकट की समस्या आज भी जस की तस है। विधायक बदले, सांसद बदले, यहां तक कि सरकारें भी बदलती रहीं, लेकिन झरिया के लोगों की किस्मत नहीं बदली।
झरिया में जलापूर्ति व्यवस्था सुधारने के लिए झरिया माइंस बोर्ड, माडा और बाद में झमाडा जैसी संस्थाएं बनीं, लेकिन पानी की समस्या खत्म होने के बजाय और गहराती गई।
राजनीतिक विरासत भी नहीं बुझा सकी प्यासझरिया से अब तक कई नेता विधायक रह चुके हैं। सूर्यदेव सिंह चार बार विधायक रहे, उनकी पत्नी, बेटे और बहू तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। फिलहाल उनकी बहू रागिनी सिंह झरिया से विधायक हैं। उनसे पहले सूर्यदेव सिंह के भाई बच्चा बाबू भी विधायक रह चुके हैं। सभी ने चुनावों में पानी की सम...









