Wednesday, December 17

झारखंड में घटते जंगल और बढ़ती सड़कें: हाथियों की मौत की बढ़ती घटनाएं सरकार और शोधकर्ताओं के लिए चिंता का कारण

रांची, 5 दिसंबर: झारखंड में लगातार घटते जंगल और बढ़ते निर्माण कार्यों का असर हाथियों के आवास पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और Frontiers in Ecology and Evolution में प्रकाशित नए अध्ययन के अनुसार, 2000 से 2023 के बीच झारखंड में कुल 225 हाथियों की मौत हुई, जिनमें से 152 मौतें सीधे मानव गतिविधियों से संबंधित हैं।

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मुख्य कारण:
अध्ययन में पाया गया कि हाथियों की मौत का प्रमुख कारण असुरक्षित विद्युत अवसंरचना रही, जिससे 67 मौतें हुईं। इसके अलावा सड़कें, रेलवे पटरियां, शहरी विस्तार और खदानें पारंपरिक हाथी गलियारों को बाधित कर रही हैं। मानसून के दौरान जब हाथियों की आवाजाही अधिक होती है और दृश्यता कम होती है, मृत्यु दर और बढ़ जाती है।

वन क्षेत्र में कमी और मानव निर्माण:
अध्ययन के अनुसार, झारखंड में पिछले 23 वर्षों में वन क्षेत्र लगभग 6 प्रतिशत घट गया है, जबकि निर्मित भूमि में 39 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। खदानें, कस्बे और सड़क निर्माण हाथियों के आवास को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप हाथी बस्तियों के निकट आते हैं, जिससे दुर्घटनाएं और संघर्ष आम और घातक बन गए हैं।

शोधकर्ताओं की सिफारिशें:
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि केवल वन क्षेत्र बढ़ाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके लिए आवश्यक है:

  • हाथियों के पारंपरिक गलियारों को सुरक्षित और पुनर्स्थापित करना
  • विद्युत अवसंरचना को उन्नत करना और इंसुलेटेड लाइनें लगाना
  • वन-सीमांत क्षेत्रों में निर्माण को विनियमित करना
  • बंजर भूमि को पुनः हरा-भरा करना

इन उपायों के बिना हाथियों की मृत्यु दर और बढ़ने की संभावना है, जिससे वन्यजीव और स्थानीय समुदाय दोनों प्रभावित होंगे।

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