Friday, December 19

रडार पर आते ही दुश्मन को ‘चबा’ जाता है S-500, क्यों भारत की पहली पसंद बना रूस का ये घातक हथियार

नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के साथ ही रूस के आधुनिकतम एयर डिफेंस सिस्टम S-500 ‘प्रोमेथियस’ ने भारत की रक्षा चर्चा में धमाकेदार वापसी की है। भारत पहले ही S-400 सिस्टम तैनात कर चुका है, जिसने पाकिस्तान की घुसपैठ रोकने में बड़ी भूमिका निभाई थी। अब S-500 को ऐसी क्षमता माना जा रहा है, जो भारत की रक्षा जरूरतों को अगले स्तर पर ले जा सकती है।

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आकाश से अंतरिक्ष तक… हर खतरे का अंत

S-500 को 21वीं सदी के सबसे उन्नत खतरों—बैलिस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक हथियार और निचली कक्षा के सैटेलाइट—को गिराने के लिए बनाया गया है।
यह दुनिया के उन बेहद कम सिस्टमों में से है, जो अंतरिक्ष से आने वाले खतरों को भी ढेर कर सकते हैं।

LEO सैटेलाइट भी नहीं बचते

S-500 की खासियत यह है कि यह 200 किमी ऊंचाई तक इंटरसेप्ट कर सकता है। यानी पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद जासूसी, निगरानी और संचार उपग्रह भी इसके निशाने से बच नहीं पाते।
इसके लिए 77N6-N और 77N6-N1 जैसी मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं, जो वायुमंडल से बाहर जाकर सीधे टक्कर मारकर लक्ष्य को नष्ट कर देती हैं—बिना न्यूक्लियर वॉरहेड के।

कैसे काम करता है ये ‘अंतरिक्ष शिकारी’?

  • इसके रडार 800 से 2,000 किमी दूर तक टारगेट पकड़ लेते हैं
  • 7 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से मिसाइल ऊपर उठती है
  • सैटेलाइट से सीधी टक्कर या पास में विस्फोट कर लक्ष्य का सफाया
  • एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता
  • सिर्फ 4 सेकंड में प्रतिक्रिया

Gallium Nitride तकनीक वाले रडार इसे चोटियों और अंतरिक्ष की ऊंचाई पर भी बेहद सटीक इंटरसेप्टर बनाते हैं।

भारत के लिए क्यों बेहद खास?

भारत के सामने दो बड़े सुरक्षा खतरे—चीन और पाकिस्तान—तेजी से हाइपरसोनिक और सैटेलाइट आधारित क्षमताएं बढ़ा रहे हैं। ऐसे में S-500 कई मोर्चों पर भारत को निर्णायक बढ़त दे सकता है।

मुख्य फायदे

  • चीन के हाइपरसोनिक हथियारों को रोकने की क्षमता
  • LAC पर चीन की S-400 आधारित रक्षा को चुनौती देने की ताकत
  • पाकिस्तान के ड्रोन और स्टैंड-ऑफ हथियारों पर बेहतर नियंत्रण
  • भारत के नेविगेशन, संचार और खुफिया सैटेलाइट की सुरक्षा
  • ‘Near-Space’—यानी 100–200 किमी की ऊंचाई—में दुश्मन की घुसपैठ पर ताला

भारत की रक्षा दीवार को मिलेगा नया कवच

S-500 के आने से भारत अपना तीन-स्तरीय एयर डिफेंस नेटवर्क और मजबूत कर सकता है।
यह स्वदेशी ‘आकाश’ और ‘प्रोजेक्ट कुशा’ जैसी प्रणालियों को एकीकृत कर संवेदनशील क्षेत्रों पर एक अभेद्य सुरक्षा ढाल तैयार करेगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि S-500 भारत की तैनाती सूची में शामिल होता है, तो देश की वायु शक्ति क्षेत्रीय स्तर से महाद्वीपीय स्तर की रोकथाम क्षमता में बदल जाएगी—और अंतरिक्ष आधारित खतरों से निपटने में भारत को रणनीतिक बढ़त मिलेगी।

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