Thursday, December 18

उपशीर्षक : यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार भारत आ रहे पुतिन, रूस को श्रमिकों की भारी कमी — भारतीय कामगारों के लिए बने नए अवसर

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। यह दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है। कूटनीतिक और रणनीतिक चर्चाओं के साथ-साथ इस बार दोनों देशों के बीच कामगारों को लेकर एक बड़ी डील होने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इज़रायल की तरह रूस भी अब भारतीय मजदूरों को बड़े पैमाने पर अवसर देने जा रहा है।

रूस को 10 लाख विदेशी मजदूरों की आवश्यकता

रूस की लेबर मिनिस्ट्री के अनुसार, देश में कार्यबल की भारी कमी है, और 2030 तक यह कमी 31 लाख तक पहुंच सकती है। यूक्रेन युद्ध में हजारों सैनिकों के मारे जाने और जनसंख्या वृद्धि दर गिरने से रूस के कई सेक्टरों में श्रमिकों का संकट गहरा गया है।

रूस लंबे समय से मध्य एशिया से मजदूर बुलाता रहा है, लेकिन

  • मार्च 2024 में मॉस्को में हुए बड़े आतंकी हमले
  • कट्टरपंथी तत्वों के खतरे
    के बाद अब रूस चाहता है कि विदेशी मजदूर ऐसे देशों से आएं, जिनसे सुरक्षा जोखिम कम हों। इस संदर्भ में भारत रूस की पहली पसंद के रूप में उभर रहा है।

भारत–रूस श्रमिक समझौते की तैयारी

विश्लेषकों के अनुसार, पुतिन की इस यात्रा में दोनों देश श्रमिकों से जुड़ी एक व्यापक साझेदारी पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

  • भारतीय मजदूरों को रूस में निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस सेक्टर और री-बिल्डिंग परियोजनाओं में काम मिल सकता है।
  • इन मजदूरों को नागरिकता नहीं मिलेगी, लेकिन तय अवधि में अच्छी कमाई कर वे वापस भारत लौट सकेंगे।
  • यह समझौता मध्य एशिया के 7 लाख से अधिक श्रमिकों को धीरे-धीरे हटाकर भारतीय श्रमिकों की तैनाती का रास्ता तैयार करेगा।

भारतीयों के लिए रूस क्यों सुरक्षित विकल्प?

रूस भारतीयों को प्राथमिकता देने के पीछे तीन मुख्य कारण हैं—

  1. भारत के प्रति रूस की दशकों पुरानी सकारात्मक जनभावना
  2. भारतीय समाज का सेकुलर चरित्र, जिससे सुरक्षा जोखिम कम
  3. मध्य एशिया की तुलना में भारतीय श्रमिकों की भरोसेमंद छवि

रूस के भीतर यह धारणा मजबूत है कि भारतीय कामगार आसानी से किसी चरमपंथी प्रभाव में नहीं आते।

भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ

कनाडा स्थित विश्लेषक रितेश जैन का कहना है कि आने वाले 3–5 सालों में भारत का सबसे बड़ा निर्यात — अकुशल और अर्द्ध–कुशल ब्लू कॉलर वर्कफोर्स हो सकता है।

इससे—

  • भारत को विदेशों से होने वाली रेमिटेंस में भारी बढ़ोतरी होगी
  • लाखों भारतीयों को स्थायी रोजगार के अवसर मिलेंगे
  • भारत–रूस संबंध और मजबूत होंगे

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