Thursday, December 18

दिल्ली-मुंबई एयरपोर्ट से सफर होगा महंगा! 22 गुना तक बढ़ सकती है फीस, 50,000 करोड़ की भरपाई यात्रियों से

नई दिल्ली। देश के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों—दिल्ली और मुंबई—से उड़ान भरना अब आम यात्रियों पर भारी पड़ सकता है। टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) के एक आदेश के बाद दोनों एयरपोर्ट्स पर यूजर चार्जेज में 22 गुना तक बढ़ोतरी की आशंका पैदा हो गई है। यह फैसला 2009 से 2014 के बीच टैरिफ की गणना पद्धति को बदलने से जुड़ा है, जिसके चलते एयरपोर्ट ऑपरेटरों को करीब 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ बताया गया है।

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ट्रिब्यूनल के मुताबिक इस नुकसान की भरपाई अब यात्रियों से वसूले जाने वाले यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF), लैंडिंग और पार्किंग चार्जेज में बढ़ोतरी के जरिए की जा सकती है। इससे टिकटों के दामों में तेज उछाल आना तय माना जा रहा है।

कितनी महंगी हो सकती है हवाई यात्रा?

सूत्रों के अनुसार आदेश लागू होने पर चार्जेज में भारी उछाल देखने को मिल सकता है:

  • दिल्ली एयरपोर्ट
  • घरेलू UDF: 129 रुपये से बढ़कर 1,261 रुपये
  • अंतरराष्ट्रीय UDF: 650 रुपये से बढ़कर 6,356 रुपये
  • मुंबई एयरपोर्ट
  • घरेलू UDF: 175 रुपये से बढ़कर 3,856 रुपये
  • अंतरराष्ट्रीय UDF: 615 रुपये से बढ़कर 13,495 रुपये

सरकारी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इतनी बड़ी बढ़ोतरी से एयर ट्रैवल महंगा होने के साथ यात्रियों की संख्या में गिरावट भी आ सकती है।

कहाँ से शुरू हुआ विवाद?

यह विवाद 2006 में शुरू हुए निजीकरण दौर से जुड़ा है। एयरपोर्ट्स इकनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (AERA) ने FY09–14 के लिए एयरपोर्ट चार्जेज तय करते समय केवल एरोनॉटिकल एसेट्स को आधार बनाया था। लेकिन DIAL और MIAL ने दावा किया कि नॉन-एरोनॉटिकल एसेट्स—जैसे ड्यूटी फ्री शॉप्स, पार्किंग व लाउंज—को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए था।

पहले AERA का तरीका ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही माना गया था, लेकिन बाद में मंत्रालय के 2011 के पत्र के आधार पर मामला फिर से खोला गया। जुलाई में TDSAT ने अपना पुराना फैसला पलटते हुए एयरपोर्ट ऑपरेटरों के पक्ष में निर्णय दे दिया।

अब क्या होगा?

AERA, घरेलू एयरलाइंस और कई विदेशी एयरलाइंस ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बुधवार को सुनवाई प्रस्तावित है। अदालत के फैसले पर निर्भर करेगा कि यात्रियों की जेब पर यह अतिरिक्त बोझ पड़ेगा या राहत मिलेगी।

फिलहाल यात्रियों और एयरलाइंस के बीच चिंता का माहौल है कि कानूनी जटिलताओं की कीमत कहीं देश के करोड़ों यात्रियों को तो नहीं चुकानी पड़ेगी।

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