Saturday, December 20

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर फिर फंसा अपर सर्किट में, निवेशकों में बढ़ी उम्मीदें

मुंबई/वित्त डेस्क। अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में गुरुवार को एक बार फिर जबरदस्त तेजी देखने को मिली। बाजार खुलते ही यह शेयर बीएसई पर 5% के अपर सर्किट को छूते हुए ₹165.85 के स्तर तक पहुंच गया। खास बात यह है कि यह लगातार दूसरा दिन है जब शेयर ने अपर सर्किट लगाया है, जबकि इससे पहले यह स्टॉक लगातार छह सत्र तक गिरावट में था।

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पिछले एक महीने में 27% तक टूटा शेयर

दो दिनों की तेजी ने निवेशकों को थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन पिछले एक महीने का कमजोर प्रदर्शन अभी भी चिंता बढ़ाता है। इस अवधि में स्टॉक करीब 27% टूट चुका है।
कंपनी का मौजूदा बाजार पूंजीकरण लगभग ₹6,454 करोड़ है।
52 सप्ताह में यह शेयर ₹423.40 के उच्च स्तर और ₹149.16 के निम्न स्तर के बीच रहा है। यानी यह अपने साल के उच्चतम स्तर से अब भी करीब 60% नीचे कारोबार कर रहा है।

सस्ता शेयर या अंदरूनी संकट का संकेत?

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर बेहद कम वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहा है।

  • P/E Ratio: 2.11
  • P/B Ratio: 0.26

आमतौर पर इतने कम मल्टीपल यह संकेत देते हैं कि शेयर “सस्ता” है, लेकिन यह कंपनी के भीतर मौजूद चुनौतियों या कमजोर फंडामेंटल्स की ओर भी इशारा कर सकता है।

टेक्निकल चार्ट्स क्या कहते हैं?

  • RSI (14-दिन): 28.8
    30 से नीचे का RSI बताता है कि स्टॉक ओवरसोल्ड ज़ोन में है। यह अल्पकालिक तेजी का संकेत माना जाता है।
  • मूविंग एवरेज:
    स्टॉक 8 में से 7 सिंपल मूविंग एवरेज से नीचे ट्रेड कर रहा है।
    इसका मतलब है कि हालिया उछाल के बावजूद लंबी अवधि का रुझान अब भी कमजोर है।

शेयरहोल्डिंग पैटर्न में क्या बदला?

  • प्रमोटर्स की हिस्सेदारी सितंबर 2025 तिमाही में 19.05% पर स्थिर बनी रही।
  • म्यूचुअल फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी 0.29% से बढ़ाकर 0.35% कर ली—यह घरेलू संस्थागत भरोसे में हल्की बढ़त दर्शाता है।
  • FII/FPI निवेश में भारी कमी आई है। उनकी हिस्सेदारी 10.26% से घटकर 7.07% रह गई।
    विदेशी निवेशकों की यह तेज कटौती आम तौर पर कंपनी से जुड़ी जोखिमों की ओर संकेत करती है।

निष्कर्ष

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर फिलहाल तेज उछाल के बीच सुर्खियों में है।
हालांकि तकनीकी संकेतक और गिरती विदेशी हिस्सेदारी यह बताती है कि निवेशकों को सतर्क रहकर ही कदम बढ़ाना चाहिए। आने वाले दिनों में स्टॉक का रुझान इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या कंपनी अपने फंडामेंटल्स और ग्रोथ आउटलुक में सुधार दिखा पाती है या नहीं।

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