Thursday, December 18

लेबर पेन में तड़प रही महिला, फिर भी परिवार ने डिलीवरी से किया इनकार, वजह जान डॉक्टर भी रह गए दंग

गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान महिला को सबसे ज्यादा संवेदनशील और निर्णय लेने का अधिकार होता है। लेकिन कई बार परिवार की जिद और निर्णय उसके स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया।

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महिला चाहती थी सिजेरियन, परिवार अड़ा रहा नॉर्मल डिलीवरी पर

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. समरा मसूद बताती हैं कि कुछ दिन पहले रात करीब 2 बजे एक महिला लेबर पेन में बुरी तरह तड़पती हुई उनके पास पहुंची। दर्द इतना तेज था कि महिला खुद को चेकअप तक नहीं करा पा रही थी। उसने बार-बार कहा:
“मैम, मैं नॉर्मल डिलीवरी नहीं चाहती। अगर आप वेजाइनल डिलीवरी करेंगे तो मैं लेटूंगी ही नहीं। प्लीज मेरा सिजेरियन ऑपरेशन कर दीजिए।”

लेकिन परिवार वाले नॉर्मल डिलीवरी की जिद पर अड़े रहे और सिजेरियन के लिए अनुमति नहीं दी। डॉ. मसूद कहती हैं, “हमारी जिम्मेदारी है कि मां के अधिकार का सम्मान हो। नौ महीने अपने बच्चे को पेट में पालने वाली महिला को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि उसे किस तरह डिलीवरी करानी है।”

डॉक्टर की चेतावनी: मां का निर्णय सर्वोपरि

डॉ. मसूद आगे कहती हैं कि किसी भी महिला की डिलीवरी के दौरान उसके इच्छा और सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। चाहे परिवार कितना भी दबाव बनाए, केवल महिला की सहमति से ही सिजेरियन या नॉर्मल डिलीवरी होनी चाहिए।

निष्कर्ष

गर्भवती महिला के स्वास्थ्य और शिशु की सुरक्षा के लिए परिवार और डॉक्टर को चाहिए कि वे मां के निर्णय का सम्मान करें। लेबर पेन में दर्द सह रही महिला के अधिकारों को नजरअंदाज करना गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है।

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