Wednesday, December 17

कर्नाटक में सत्ता-साझेदारी का सियासी संग्राम तेज, डीके शिवकुमार ने पहली बार किया बड़ा खुलासा

बेंगलुरु/कनकपुरा : कर्नाटक की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के ताज़ा बयान ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। पहली बार उन्होंने खुलकर स्वीकार किया कि 2023 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद सत्ता-साझेदारी को लेकर एक गोपनीय समझौता हुआ था। उनके अनुसार यह डील दिल्ली में हुई थी और इसकी जानकारी केवल 5-6 वरिष्ठ नेताओं को ही थी।

This slideshow requires JavaScript.

कनकपुरा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शिवकुमार ने संकेत दिया कि सत्ता परिवर्तन का मुद्दा यूं ही नहीं उठ रहा है, बल्कि इसकी पृष्ठभूमि पहले से तैयार थी। हालांकि उन्होंने समझौते का विवरण देने से इनकार करते हुए कहा कि यह गोपनीय है और वह इसे सार्वजनिक मंच पर उजागर नहीं करेंगे।

सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया

उधर बेंगलुरु में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने की अपील करते हुए स्पष्ट कहा कि नेतृत्व परिवर्तन पर अंतिम फैसला केवल कांग्रेस हाईकमान लेगा। उन्होंने यह भी बताया कि निकट भविष्य में उनकी राहुल गांधी से मिलने की कोई योजना नहीं है।

मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विधायक बसवराज रायरेड्डी ने किसी भी सत्ता-साझेदारी समझौते को खारिज करते हुए दावा किया कि सिद्धारमैया अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भीतरखाने हुए राजनीतिक समझौतों को किसी अनुबंध की तरह माना जा सकता है?

खरगे-शिवकुमार समीकरण

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में बेंगलुरु दौरे के दौरान सिद्धारमैया से मुलाकात की, लेकिन शिवकुमार से नहीं मिले। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवकुमार ने कहा कि वह पिछले सप्ताह ही दिल्ली में खरगे से मिल चुके हैं, इसलिए बार-बार मिलने की आवश्यकता नहीं है।

दिल्ली रवाना होने से पहले खरगे ने बयान दिया कि नेतृत्व परिवर्तन पर सार्वजनिक बहस पार्टी के हित में नहीं है। उन्होंने अपने दौरे का उद्देश्य संविधान दिवस से जुड़े कार्यक्रमों और समीक्षा बैठकों में शामिल होना बताया।

समर्थकों की मांग और राजनीतिक संदेश

समर्थकों द्वारा शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर पूजा-पाठ किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह उनके कठिन समय, विशेषकर भाजपा सरकार में जेल के दौरान, दिखाए गए समर्थन की अभिव्यक्ति है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि किसी विधायक को दिल्ली भेजने में उनका हाथ है।

कृषि संस्कृति मंत्री एन चेलुवरायस्वामी ने भी बयान दिया कि अंतिम निर्णय आलाकमान के चार-पांच वरिष्ठ नेताओं के समूह द्वारा लिया जाएगा, न कि किसी एक व्यक्ति द्वारा।

कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन की चर्चा अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। शिवकुमार के इस बयान ने संकेत दे दिए हैं कि राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अब निगाहें कांग्रेस हाईकमान के निर्णय पर टिक गई हैं।

Leave a Reply