
नई दिल्ली। दिल्ली धमाके की जांच में लगातार नए खुलासों के बाद सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। जांच के दौरान फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आने पर अब देशभर के अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में संदिग्ध गतिविधियों को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे ऐसे संस्थानों पर कड़ी नजर रखें और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की जानकारी तुरंत केंद्रीय एजेंसियों को दें।
उच्च स्तरीय बैठक में बड़ा फैसला
सूत्रों के मुताबिक सोमवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में एनआईए, ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों ने राज्य प्रतिनिधियों के साथ रणनीति पर चर्चा की। बैठक में यह तय हुआ कि अब राज्य सरकारें अपने क्षेत्रों के अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की निगरानी बढ़ाएंगी और किसी भी संदिग्ध संकेत पर तुरंत कार्रवाई करेंगी।
संदिग्ध व्यक्तियों और वित्तीय लेनदेन पर नजर
निर्देशों के तहत राज्यों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि किसी ऐसे व्यक्ति पर विशेष ध्यान दिया जाए जिसका अतीत संदिग्ध रहा हो या जो छात्रों के बीच मीडियेटर या हैंडलर की भूमिका में सक्रिय हो। खासतौर पर यदि वह जम्मू-कश्मीर से जुड़ा हो और किसी तरह की संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाया जाए।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय अनियमितताओं पर भी निगरानी बढ़ाई जाएगी, ताकि किसी भी विदेशी फंडिंग या संदिग्ध आर्थिक लेनदेन की पहचान की जा सके।
संस्थानों के सामान्य कार्य प्रभावित न हों
सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि इन निर्देशों का उद्देश्य किसी संस्थान या समुदाय को निशाना बनाना नहीं है। अधिकारी के मुताबिक, “राज्यों से कहा गया है कि जांच या निगरानी के दौरान किसी भी अल्पसंख्यक संस्थान के सामान्य कार्य में बाधा न आए। लक्ष्य केवल भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को रोकना है।”
अल-फलाह ग्रुप पर शिकंजा कसता हुआ
हालिया जांच में अल-फलाह यूनिवर्सिटी के तीन डॉक्टरों का नाम आतंक मॉड्यूल से जुड़े होने के आरोप में सामने आने के बाद कार्रवाई तेज हुई है। यूनिवर्सिटी के फाउंडर और चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी पहले ही ईडी की गिरफ्त में है। ईडी उसके ट्रस्ट से जुड़े करीब दो दर्जन ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है और विदेशों में उसकी संपत्तियों तथा फंडिंग की गहन जांच जारी है।
एजेंसियां अब उन व्यक्तियों की भी पहचान कर रही हैं जो लंबे समय से जवाद के संपर्क में रहे हैं।
आगे क्या?
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि समय रहते निगरानी बढ़ाना भविष्य में किसी भी संभावित आतंकी साजिश को रोकने में अहम साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में केंद्रीय एजेंसियां और राज्य सरकारें इस दिशा में और कदम उठा सकती हैं।