Thursday, December 18

भगवान राम के ‘पड़ोसी’ नूर आलम: जमीन सटी मंदिर से, दिल जुड़ा भक्ति और सेवा से

अयोध्या में भले ही आज राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्म ध्वजा फहराने का ऐतिहासिक क्षण हो, लेकिन इस दिव्य उत्सव के बीच एक ऐसा नाम भी चर्चा में है, जो भक्ति, सौहार्द और सेवा का अद्भुत संदेश दे रहा है—नूर आलम। मंदिर परिसर से सटी पैतृक जमीन के मालिक नूर आलम खुद को गर्व से “भगवान राम का पड़ोसी” कहते हैं और यही वजह है कि उन्हें इस समारोह में विशेष निमंत्रण मिला है।

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पिछले वर्ष 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के दौरान नूर आलम सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने अपनी जमीन और संसाधन भक्तों की सेवा में समर्पित कर दिए। उनकी जमीन पर बने परिसर में लगभग 20,000 श्रद्धालुओं के लिए भंडारा और आवास की व्यवस्था की गई थी। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के सहयोग से किए गए इस आयोजन ने उन्हें लोगों के दिलों में खास स्थान दिलाया।

नूर आलम बताते हैं,
“हम कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। हमें भगवान श्रीराम के पड़ोसी के रूप में जाना जाता है, इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है? इतिहास लिखा जा रहा है और हम उसके साक्षी बनेंगे। यह क्षण जिंदगीभर याद रहेगा।”

उनकी यूसुफ आरा मशीन मंदिर परिसर के बिल्कुल बगल में स्थित है। इसी स्थान पर उनका व्यवसाय, घर और परिवार है। नूर आलम कहते हैं कि रामलला के पड़ोसी होना उनके लिए गर्व और आस्था का विषय है।
“यह भगवान राम का महल है और हम उनकी प्रजा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अयोध्या में खुशहाली और शांति का माहौल है। सभी पर भगवान की कृपा बरस रही है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।

निर्माण कार्य में लगे मजदूरों और उनके परिवारों के लिए भी नूर आलम नियमित रूप से चाय-नाश्ते और भोजन की व्यवस्था करते हैं। उन्होंने अपनी जमीन पर स्थायी रूप से “रामनाम रसोई” चला रखी है, जहां जरूरतमंदों के लिए भोजन उपलब्ध रहता है। नूर आलम कहते हैं कि यदि जरूरत पड़ी तो वह अपना व्यवसाय बदलने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

अयोध्या के इस ऐतिहासिक अवसर पर जहां पूरी दुनिया की नजर राम मंदिर पर है, वहीं नूर आलम अपनी सेवा, समर्पण और आपसी सौहार्द की मिसाल के साथ इस महापर्व की गरिमा बढ़ा रहे हैं। उनकी मौजूदगी यह संदेश देती है कि राम केवल आस्था नहीं, बल्कि प्रेम, एकता और मानवता के प्रतीक हैं।

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