Thursday, December 18

बीएलओ सहायकों की सूची में बीजेपी–RSS समर्थकों के नाम, दतिया में विवाद तेज; प्रशासन ने मानी गलती, नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू

दतिया। मध्य प्रदेश के दतिया जिले में एसआईआर (SIR) कार्य के लिए जारी बीएलओ सहायकों की सूची ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। सूची में भाजपा और आरएसएस से जुड़े बताए जा रहे कई नामों के शामिल होने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। मामला सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और इसे ‘अनजाने में हुई गलती’ बताते हुए नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

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सूची सार्वजनिक होने के बाद पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ट्विटर पर इसकी प्रतियां साझा करते हुए गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि सूची में कम से कम चार व्यक्ति भाजपा संगठन से जुड़े हुए हैं, जिनमें कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हैं। पटवारी ने आरोप लगाया कि सरकार प्रशासनिक प्रक्रियाओं को राजनीतिक रूप से प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।

विवाद बढ़ने पर दतिया कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े ने सफाई देते हुए कहा कि सूची जिला प्रशासन द्वारा जारी नहीं की गई थी, बल्कि यह दतिया विधानसभा क्षेत्र के एसडीएम द्वारा जारी आदेश था। उन्होंने स्वीकार किया कि तीन राजनीतिक नाम गलती से सूची में शामिल हो गए थे। कलेक्टर ने कहा, “यह अनजाने में हुई गलती है। इन व्यक्तियों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं। हमने एसडीएम से स्पष्टीकरण भी मांगा है कि यह चूक कैसे हुई।”

उधर, लिस्ट में शामिल बताए जा रहे भाजपा कार्यकर्ता मनीष मिश्रा ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वे पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं, बल्कि एक सामान्य कार्यकर्ता मात्र हैं। उनका कहना है कि विवाद को लेकर प्रशासन ने उनसे अब तक संपर्क नहीं किया है। एक अन्य व्यक्ति बॉबी राजा ने भी राजनीतिक जुड़ाव के आरोपों से इनकार किया।

कांग्रेस ने इस घटना को लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रक्रियाओं के साथ छेड़छाड़ बताते हुए कहा कि सत्ता पक्ष संस्थागत ढांचे को अपने हित में रंगने की कोशिश कर रहा है। पटवारी ने आरोप लगाया, “जब सत्ताधारी दल हर संस्था को अपने रंग में रंगना शुरू कर देता है, तो लोकतंत्र पीड़ित होता है। कांग्रेस चुनावी प्रक्रिया के दुरुपयोग के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी।”

अब निगाहें इस बात पर हैं कि प्रशासन इस विवाद पर आगे क्या कदम उठाता है और क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। मामले ने स्थानीय राजनीतिक वातावरण में नई गर्माहट ला दी है।

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