
नई दिल्ली: आज एक ऐतिहासिक अवसर पर जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत ने शपथ हिंदी में ली। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।
समारोह में मौजूद रहे उच्च स्तरीय गणमान्य व्यक्ति
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, पूर्व CJI बी.आर. गवई, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, एच.डी. कुमारस्वामी, पीयूष गोयल, जे.पी. नड्डा, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
शपथ ग्रहण के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने अपने घर के बुजुर्गों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया और सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। वहां उन्होंने महात्मा गांधी और बी.आर. आंबेडकर की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए और कोर्ट नंबर एक में बेंच का संचालन किया।
वकालत से लेकर CJI तक का सफर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेटवाड़ गांव में हुआ। उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री प्राप्त की और उसी वर्ष हिसार की जिला अदालत में वकालत शुरू की। 1985 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट, चंडीगढ़ में स्थानांतरित होने के बाद उन्होंने संवैधानिक, सेवा और दीवानी मामलों में विशेषज्ञता हासिल की।
- 7 जुलाई 2000: हरियाणा के सबसे कम उम्र के महाधिवक्ता (Advocate General) बने।
- 9 जनवरी 2004: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने।
- 5 अक्टूबर 2018: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त।
- 24 मई 2019: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।
- 14 मई 2025: NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर नियुक्त।
प्राथमिकता: पेंडिंग मामलों को कम करना
चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी प्राथमिकता स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लगभग 90 हजार केस पेंडिंग हैं और उन्हें कम करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे। साथ ही देश भर में करोड़ों मामलों की पेंडेंसी कम करने पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।