Friday, December 19

नए लेबर कोड से बदल गया सैलरी स्ट्रक्चर: पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ेगी, हाथ में पैसा कम आएगा

नई दिल्ली: भारत सरकार ने 21 नवंबर 2025 से देश के श्रमिकों के लिए चार श्रम संहिताएं लागू कर दी हैं। इसमें ‘कोड ऑन वेजेज 2019’, ‘इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020’, ‘कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020’ और ‘ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020’ शामिल हैं। इसका उद्देश्य पुराने जटिल कानूनों को सरल बनाना और कर्मचारियों को बेहतर वेतन, सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।

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सैलरी में क्या बदलाव होगा?
नए नियमों के अनुसार, अब कर्मचारियों की कुल सैलरी का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक सैलरी होगा। इसका सीधा मतलब है कि प्रोविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी (Gratuity) में योगदान बढ़ जाएगा।

  • पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ेगी: बेसिक सैलरी बढ़ने से कर्मचारी और कंपनी दोनों का योगदान अधिक होगा।
  • हाथ में आने वाली सैलरी थोड़ी कम: कुल CTC वही रहेगा, लेकिन पीएफ और ग्रेच्युटी में कटौती बढ़ने के कारण take-home सैलरी कम हो सकती है।

कंपनियों को बदलना होगा सैलरी स्ट्रक्चर
सरकार अगले 45 दिनों में विस्तृत नियम जारी करेगी। इसके बाद कंपनियों को अपनी वेतन संरचना को नए नियमों के अनुसार अपडेट करना होगा।

क्यों लाया गया यह नियम?
पहले कंपनियां बेसिक सैलरी कम रखकर बाकी पैसा भत्तों के रूप में देती थीं। इससे पीएफ और ग्रेच्युटी में उनका योगदान कम होता था। नए नियमों से कर्मचारियों की भविष्य की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

एक्सपर्ट की राय:

  • सुचिता दत्ता (इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन) का कहना है कि नए कोड्स से ग्रेच्युटी और पीएफ बेहतर होंगे, लेकिन हाथ में आने वाली सैलरी थोड़ी कम हो सकती है।
  • अंजलि मल्होत्रा (नांगिया ग्रुप) के अनुसार, अब बेसिक पे, डियरनेस अलाउंस (DA) और रिटेनिंग अलाउंस (RA) ‘वेजेज’ में शामिल होंगे। कुल कमाई का कम से कम आधा हिस्सा वेजेज में जोड़ने से सामाजिक सुरक्षा और रिटायरमेंट लाभों में एकरूपता आएगी।

पहले और अब में अंतर:
पहले कंपनियां भत्तों के माध्यम से CTC का बड़ा हिस्सा देती थीं, जिससे पीएफ और ग्रेच्युटी कम होती थी। अब नियमों के अनुसार, आधा हिस्सा बेसिक सैलरी में होगा। इससे रिटायरमेंट सेविंग्स बढ़ेंगी, भले ही शुरुआती हाथ में मिलने वाली सैलरी थोड़ी कम हो।

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