Wednesday, December 17

कलेक्टर भव्या मित्तल को राष्ट्रीय जल पुरस्कार, जल संरक्षण में देश का मॉडल बना खरगोन

खरगोन, 19 नवंबर। जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों की बदौलत खरगोन जिले ने पश्चिम भारत में पहला स्थान हासिल किया है। जिले की इस असाधारण उपलब्धि के लिए कलेक्टर भव्या मित्तल को राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।

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4.21 लाख जल संरचनाओं से क्षमता दोगुनी

कलेक्टर भव्या मित्तल के नेतृत्व में जिले में 4,21,182 जल संरचनाएँ विकसित की गईं, जिनसे 2.31 करोड़ घनमीटर पानी संग्रहित करने की क्षमता तैयार हुई।
इन संरचनाओं में चेक डैम, काउंटर ट्रेंच, पर्कोलेशन टैंक, गली प्लग और गैबियन जैसे मॉडल शामिल हैं, जिन्होंने जिले के भूजल स्तर को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया।

25 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि

जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए पश्चिमी भारत के श्रेणी-3 जिलों में खरगोन को 13वां स्थान मिला है। इसके साथ ही जिले को 25 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई।
जिला पंचायत सीईओ आकाश सिंह को ‘जल संचय जनभागीदारी 1.0’ अभियान में बेहतरीन कार्य के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल द्वारा सम्मानित किया गया।

नदियों को पुनर्जीवित करने में बड़ी सफलता

खरगोन प्रशासन ने नर्मदा, नानी, वंशावली और बोराड़ नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष अभियान चलाया।
8000 हेक्टेयर क्षतिग्रस्त भूमि को स्टॉप डैम, खेत तालाब और लूस बोल्डर स्ट्रक्चर की मदद से दुरुस्त किया गया।
पहले जहां कुछ नदियाँ नवंबर-दिसंबर में सूख जाती थीं, अब वे अप्रैल तक बहने लगी हैं
कुंदा नदी के किनारे 627 अवैध कब्जे हटाकर 106 एकड़ जमीन को मुक्त कर ‘निधिवन’ पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया।

पुरानी बावड़ियों का जीर्णोद्धार और रिकॉर्ड डिजिटलाइजेशन

जिले के सभी जल स्रोतों का रिकॉर्ड सरकारी अभिलेखों में दर्ज कराया गया।
45 प्राचीन बावड़ियों का जीर्णोद्धार किया गया, जिससे जल संरक्षण क्षमता और बढ़ी।
सूक्ष्म सिंचाई क्षेत्र को बढ़ाकर 48,975 हेक्टेयर किया गया, जिसमें इस वर्ष 3,290 हेक्टेयर नए क्षेत्रों को जोड़ा गया और इससे 37,042 किसानों को सीधा लाभ मिला।

अमृत सरोवर और हरित क्रांति

जिले में 156 नए अमृत सरोवर बनाए गए, जिनसे कुल संचयन क्षमता 2.31 करोड़ घनमीटर तक पहुँच गई।
मनरेगा और पीएमकेएसवाई 2.0 के तहत 30 लाख पेड़ लगाए गए, जिनमें 95% पौधे जीवित हैं।
साथ ही गंदे पानी के पुनर्चक्रण के लिए 15 इकाइयाँ, 4 एसटीपी और 94 अपशिष्ट स्थिरीकरण कुंड स्थापित किए गए।

जनभागीदारी का सबसे बड़ा मॉडल

जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने के लिए

  • 2,277 सफाई अभियान
  • 605 क्षमता निर्माण कार्यशालाएँ
  • 200 ग्राम पंचायतों में कलश यात्रा
  • 147 जल चौपाल
    आयोजित किए गए।
    इन कार्यक्रमों ने न केवल ग्रामीणों को जागरूक किया बल्कि जल संरक्षण को जिले में एक सामूहिक जिम्मेदारी बना दिया।

जियो-टैगिंग से पारदर्शिता

‘जल संचय जनभागीदारी 1.0’ के तहत 1 अप्रैल 2024 से 31 मई 2025 तक 5606 कार्य पूरे किए गए।
सभी परियोजनाओं की जियो-टैगिंग कर पोर्टल पर सत्यापन किया गया।
वर्तमान में 757 कार्य प्रगति पर हैं।

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