Wednesday, December 17

संजय तो तेजस्वी के ‘आंख-कान’, RJD में 30 साल से हरियाणवी प्रभाव कायम—लालू यादव के दो खासों की कहानी

पटना/चंडीगढ़।
लालू यादव परिवार में विरासत की जंग के बीच एक नाम सबसे अधिक चर्चा में है—संजय यादव, तेजस्वी यादव के सबसे भरोसेमंद सलाहकार। तेजस्वी के हरियाणवी मित्र संजय यादव पर पार्टी में फूट का आरोप लगाया जा रहा है। रोहिणी आचार्य के ट्वीट के बाद विपक्ष से लेकर सत्तारूढ़ दलों तक कई नेताओं ने उन्हें निशाने पर लिया है। संजय 2024 में बिहार से राज्यसभा पहुंचे और आरजेडी में आज सबसे प्रभावशाली चेहरों में गिने जाते हैं।

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दिलचस्प यह है कि संजय यादव आरजेडी में अकेले हरियाणवी नहीं हैं। उनसे पहले प्रेमचंद गुप्ता, जो हरियाणा के भिवानी से आते हैं, तीन दशकों तक लालू यादव के सबसे विश्वसनीय सहयोगी रहे हैं और लगातार राज्यसभा भेजे जाते रहे।

तेजप्रताप ने कहा ‘जयचंद’, रोहिणी ने ठहराया जिम्मेदार

बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद RJD परिवार के अंदर संघर्ष खुलकर सामने आ गया है।
परिवार के कई सदस्य तेजस्वी के निर्णयों और उनके सलाहकार संजय यादव से नाराज हैं।

तेजप्रताप यादव पहले ही संजय को ‘जयचंद’ कह चुके हैं। वहीं रोहिणी आचार्य ने公开 तौर पर चुनावी हार का ठीकरा संजय यादव के सिर फोड़ दिया। उन्होंने ‘चाणक्य’ पर तंज कसते हुए सवाल उठाए और कहा कि इनकी रणनीति ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया।

लालू के पुराने भरोसेमंद — प्रेमचंद गुप्ता

आरजेडी के वरिष्ठ नेता संजय यादव की तुलना लालू यादव के चिर-परिचित सहयोगी प्रेमचंद गुप्ता से करते हैं।
1996 से लगातार पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे गुप्ता लालू के हर अच्छे-बुरे समय में उनके साथ खड़े दिखे।
यूपीए सरकार में वे मंत्री भी रहे।

चारा घोटाला हो या जमीन के बदले नौकरी का मामला—प्रेमचंद गुप्ता का नाम भी इन मामलों में जुड़ा, फिर भी उनकी राजनीतिक स्थिति कभी कमजोर नहीं हुई। पार्टी के भीतर फंडिंग और रणनीति से जुड़े मामलों में उनकी भूमिका हमेशा निर्णायक रही।

संजय यादव—तेजस्वी की टीम के रणनीतिकार से राज्यसभा तक

हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले संजय यादव तेजस्वी के क्रिकेट प्रैक्टिस के दिनों के मित्र हैं।
2014 में पटना आने के बाद उन्होंने 2015 में आरजेडी के चुनावी कैंपेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2020 तक वे पार्टी के मुख्य रणनीतिकार बन गए और तेजस्वी की युवा नेतृत्व छवि को स्थापित करने में अहम रहे।

टिकट बंटवारे से लेकर अभियान प्रबंधन तक अधिकांश फैसलों में संजय यादव की सीधी भूमिका रही। यही वजह है कि तेजस्वी के भीतर के सर्कल में वे ‘आंख-कान’ माने जाते हैं।

तेजस्वी को पार्टी का चेहरा बनाने में बड़ा योगदान

2020 की चुनावी सफलता के बाद संजय ने न सिर्फ तेजस्वी के नेतृत्व को मजबूत किया बल्कि पार्टी संरचना में भी बड़ा हस्तक्षेप किया।
तेजप्रताप और कुछ बहनों को धीरे-धीरे निर्णय प्रक्रिया से दूर किया गया।
तेजप्रताप की निजी जिंदगी से जुड़े विवाद भी इसी दौर में उछले, जिससे भाईयों के बीच दूरी बढ़ती गई।

इधर रोहिणी आचार्य की बगावत के बाद माना जा रहा है कि आरजेडी में बड़ा फेरबदल संभव है। हालांकि, पार्टी का नियंत्रण पूरी तरह तेजस्वी के हाथों में जाने की संभावना भी प्रबल हो गई है।

लालू की हरियाणा वाली बेटी अनुष्का शांत, ससुराल है बड़ा राजनीतिक घराना

विवाद के बीच लालू यादव की बेटियों में मीसा भारती, रागिनी, चंदा और राज्यलक्ष्मी भी शांत हैं।
छठी बेटी अनुष्का यादव पूरी तरह इस विवाद से दूर हैं।
उनकी शादी हरियाणा के शक्तिशाली राव परिवार में हुई है।
पति चिरंजीव राव रेवाड़ी से विधायक रह चुके हैं और उनके पिता अजय सिंह यादव, हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री रहे हैं।

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