Thursday, December 18

आरके सिंह 6 साल के लिए BJP से निकाले गए, बागी नेताओं पर गिरने लगी गाज

पटना: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में बंपर जीत हासिल करने के बाद अपनी पार्टी के बागी नेताओं पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। इस कार्रवाई का शिकार सबसे पहले बने हैं आरा के पूर्व सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व नौकरशाह राजकुमार सिंह (आरके सिंह)। बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

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आरके सिंह पर बीजेपी की सख्त कार्रवाई

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के लंबे समय तक सदस्य रहे आरके सिंह के खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते की गई है। हाल ही में आरके सिंह ने पार्टी की लाइन से बाहर जाकर कई विवादित बयान दिए थे, जिसे बीजेपी ने गंभीरता से लिया और इसे पार्टी विरोधी माना। उनके बयानों के बाद बीजेपी ने उन्हें पार्टी से बाहर करने का निर्णय लिया।

चुनाव के दौरान विवादों में घिरे रहे आरके सिंह

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान आरके सिंह ने बीजेपी के प्रचार में भाग नहीं लिया और ना ही पार्टी के समर्थन में कोई सार्वजनिक बयान दिया। इसके उलट, कई मौकों पर उन्होंने पार्टी नेताओं के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। चुनावी अभियान के दौरान उनके बयानों ने बीजेपी को असहज कर दिया। खासकर, आरके सिंह ने एक बार तो प्रशांत किशोर के बयानों का समर्थन किया, जिससे पार्टी के भीतर असहमति और बढ़ गई।

राजपूत वोटों का खौफ

बीजेपी को यह भी डर था कि राजपूत वोट के एक अहम चेहरे के बगावती तेवर पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं, खासकर शाहाबाद रेंज के अलावा अन्य क्षत्रिय वोटों में। चुनाव से पहले, पार्टी ने पवन सिंह को अपने पाले में लाकर आरके सिंह की बगावत पर लगाम लगाने की कोशिश की। हालांकि, चुनावी नतीजों में बीजेपी को भारी जीत मिली और अब यह तय हो गया कि पार्टी अपने बागी नेताओं के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरतेगी। आरके सिंह के निष्कासन के बाद यह साफ हो गया है कि बीजेपी अब किसी भी तरह की बगावत को बर्दाश्त नहीं करेगी।

निष्कासन के बाद के संभावित परिणाम

आरके सिंह की निष्कासन की कार्रवाई ने यह संकेत दिया है कि बीजेपी अब अपनी पार्टी लाइन से बाहर जाने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है। चुनावी नतीजों के बाद पार्टी की यह सख्त नीति दिखाती है कि भविष्य में और भी बागी नेताओं पर कार्रवाई की जा सकती है।

अब देखना यह होगा कि क्या इस निष्कासन का असर बिहार की राजनीति पर पड़ेगा और आरके सिंह के समर्थक क्या कदम उठाएंगे।

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