Thursday, December 18

बिहार के नतीजों ने बढ़ाया यूपी बीजेपी का हौसला, अब मिशन उत्तर प्रदेश पर फोकस

बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की शानदार जीत ने उत्तर प्रदेश बीजेपी के नेताओं के हौसले को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। खासकर 2024 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद, इस जीत ने 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की उम्मीदों को फिर से जगाया है। यूपी के नेताओं ने भी बिहार चुनाव में अहम भूमिका निभाई थी, और अब उनका मानना है कि इस सफलता का असर यूपी में भी देखा जाएगा।

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यूपी के नेताओं का बढ़ा कद

बिहार चुनाव के बाद यूपी के नेताओं की अहमियत भी बढ़ गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बिहार चुनाव के लिए सह प्रभारी बनाया गया था, और उन्होंने चुनावी रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि ओबीसी वोटरों को जोड़ने में उन्हें सफलता मिली। मौर्य ने मुजफ्फरपुर से 78 सीटों पर अपनी कमान संभाली थी। इसके साथ ही, अन्य यूपी मंत्रियों और नेताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। ब्रजेश पाठक, महेंद्र सिंह, अनिल राजभर, दया शंकर सिंह जैसे नेताओं ने भी बिहार चुनाव में सक्रिय भागीदारी की।

योगी आदित्यनाथ का प्रचार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी रैलियां भी बिहार में चर्चा का विषय बनीं। उन्होंने बिहार में 32 रैलियां और एक रोड शो किया, और लगभग 43 प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। उनकी सभाओं और प्रचार का सकारात्मक असर एनडीए की जीत में देखा गया।

अब मिशन यूपी पर पूरा फोकस

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार की जीत का असर अब यूपी पर भी दिखेगा। उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और बीजेपी ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। पार्टी की योजना अब पूरी तरह से मिशन यूपी पर केंद्रित हो चुकी है। बिहार में जिस तरह जातीय समीकरण पर ध्यान दिया गया था, उसी तरह यूपी में भी चुनावी रणनीतियों को तैयार किया जा सकता है। इसके साथ ही, संगठन और कैबिनेट में भी बदलाव की संभावना है। यूपी में प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान जल्द किया जा सकता है, और इसके बाद कुछ नेताओं को कैबिनेट में और कुछ को संगठन में जगह दी जा सकती है।

सहयोगी दलों पर दबाव

बिहार चुनाव के नतीजों ने यूपी में भाजपा की सहयोगी पार्टियों के लिए भी एक संदेश दिया है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने पहले ही दबाव बनाना शुरू कर दिया था। बिहार चुनाव में सुभासपा ने 153 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दावा किया था, लेकिन वह केवल 32 सीटों पर ही चुनाव लड़ सकी, और अधिकांश की जमानत जब्त हो गई। इस हार ने यूपी में अन्य दबाव बनाने वाले दलों को भी सबक दिया है। अब वे बीजेपी पर ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति में नहीं होंगे।

निष्कर्ष

बिहार की जीत ने यूपी बीजेपी को 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए नई ऊर्जा दी है। बीजेपी अब उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीति को मजबूती से लागू करने की योजना बना रही है, जिससे पार्टी का एक और मजबूत गढ़ तैयार हो सके। आने वाले समय में संगठनात्मक बदलाव, कैबिनेट में फेरबदल और जातीय समीकरण पर जोर देने की योजना से यूपी में बीजेपी का विजय रथ एक बार फिर से तेज हो सकता है।

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