Tuesday, December 16

बंगाल के चायवाले ने 4 साल की मेहनत से बेटी को दिया स्कूटर, पिता की लगन और प्यार ने किया सबका दिल छू

पश्चिमी मिदनापुर। छोटे से गांव में रहने वाले बच्चू चौधरी ने अपनी बेटी सुषमा के सपने को पूरा करने के लिए चार साल तक सिक्के और नोट इकट्ठा किए और उसके लिए स्कूटर खरीदा। यह कहानी पिता के धैर्य, मेहनत और बच्चों के प्रति प्रेम का जीवंत उदाहरण बन गई है।

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🔹 सिक्कों से भरा डिब्बा और आश्चर्यचकित शोरूम कर्मचारी

चंद्रकोना ब्लॉक I के मौला गांव के रहने वाले बच्चू चाय की छोटी सी दुकान चलाते हैं। बेटी ने चार साल पहले उनसे स्कूटर मांगने की बात कही थी, लेकिन परिवार की सीमित आय के कारण वह इसे तुरंत पूरा नहीं कर सके।

शनिवार को बच्चू अपनी बेटी के लिए गोसाई बाजार स्थित शोरूम पहुंचे और 69,000 रुपये सिक्कों और 31,000 रुपये नोटों से भरे डिब्बे दिखाए। शोरूम के कर्मचारी हैरान रह गए। आठ कर्मचारियों को सिक्कों और नोटों की रकम गिनने में दो घंटे से अधिक समय लग गया।

🔹 बेटी का सपना, पिता की मेहनत

बच्चू ने बताया कि उनका हमेशा से मोटरसाइकिल लेने का सपना था, लेकिन गरीबी के चलते वह पूरा नहीं हो पाया। बेटी के कॉलेज और ट्यूशन के लिए स्कूटर की मांग पर उन्होंने उसका सपना पूरा करने का निर्णय लिया। सुषमा ने भी खुद 10,000 रुपये बचाए थे, बाकी रकम पिता ने चार साल की मेहनत और बचत से जुटाई।

🔹 पूरा भुगतान, बिना ईएमआई या कर्ज़

स्कूटर की कुल कीमत 1,10,000 रुपये थी। पिता ने 1 लाख रुपये और बेटी ने बाकी राशि देकर पूरा भुगतान किया। सिक्कों से भरे कंटेनर को घर से लगभग 15 किलोमीटर दूर शोरूम तक ले जाया गया।

सुषमा ने कहा, “मुझे यकीन ही नहीं हो रहा कि मेरे पिता ने मेरे लिए यह किया। यह अहसास मैं कभी नहीं भूलूंगी।”

🔹 सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों की सराहना

जैसे ही यह कहानी फैली, स्थानीय लोग और सोशल मीडिया पर लोगों ने बच्चू की मेहनत, धैर्य और बेटी के प्रति प्रेम की सराहना की। यह उदाहरण साबित करता है कि छोटी-छोटी बचत और लगन बड़े सपनों को सच कर सकती है

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