Wednesday, December 17

Opinion: शिवराज की ‘छाप’ मिटा रही मोहन सरकार? लाडली बहना योजना समेत कई योजनाओं में बदलाव

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भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति में हाल के दिनों में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। नए मुख्यमंत्री मोहन यादव प्रदेश में अपनी सरकार की अलग पहचान बनाने में जुटे हैं। इसके तहत वे नई योजनाएं शुरू करने के साथ ही शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं में बदलाव कर रहे हैं।

लाडली बहना योजना पर नया अध्याय

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 से पहले शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए की आर्थिक मदद दी जाती थी, जो चुनाव के समय बढ़ाकर 1250 रुपए कर दी गई थी। चुनाव में बीजेपी को जीत मिली, लेकिन शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री नहीं बने।

नए मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में पहली बार इस योजना में राशि बढ़ाई गई है। 12 नवंबर से लाडली बहनों को हर महीने 1500 रुपए दिए जाएंगे। इस बीच चर्चा यह भी शुरू हो गई है कि मोहन सरकार योजना का नाम बदल सकती है। संभव है कि इसे “देवी सुभद्रा योजना” के नाम से चलाया जाए। हालांकि अधिकारी इन अटकलों को फिलहाल खारिज कर रहे हैं।

शिवराज के फैसलों में बदलाव

मोहन यादव ने पद संभालते ही शिवराज सिंह चौहान के कई बड़े फैसलों को पलट दिया। उदाहरण के लिए:

  • शिवराज सरकार के दौरान सरकारी कार्यक्रमों में एमपी गान बजाना अनिवार्य था, इसे मोहन सरकार ने बंद करवा दिया।
  • भोपाल और इंदौर में बनाए गए बीआरटीएस को तोड़ने का निर्णय लिया गया।
  • सीएम राइज स्कूल का नाम बदलकर सांदीपनि स्कूल कर दिया गया।

नई पहचान बनाना मकसद

इन कदमों से साफ लगता है कि मोहन यादव अपनी सरकार की नई राजनीतिक और प्रशासनिक पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जनकल्याण के लिए नई योजनाओं की शुरुआत के साथ ही वे धीरे-धीरे शिवराज सिंह चौहान की छाप को प्रदेश से हटाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। शिवराज अब केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं और प्रदेश में उनकी सक्रियता पहले की तुलना में कम हो गई है।

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