
फरीदाबाद।
दिल्ली–मुंबई लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान पेड़ों के मुआवजे में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। 93 पेड़ों की वास्तविक संख्या को कागजों में 768 दिखाकर 15 लाख 36 हजार रुपये का मुआवजा हड़प लिया गया। उप वन संरक्षक की शिकायत पर सेंट्रल थाना पुलिस ने राजस्व विभाग के दो पटवारियों, वन विभाग के एक क्लर्क, एक निरीक्षक और एक किसान—कुल पांच लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
सांठगांठ से बदली रिपोर्ट, तीन साल बाद खुला राज
यह मामला वर्ष 2021–22 का है। जांच करीब तीन वर्षों तक पुलिस और डीसी कार्यालय में चली। आरोप है कि सभी ने आपसी मिलीभगत से असली मूल्यांकन रिपोर्ट गायब कर फर्जी रिपोर्ट तैयार की और सरकारी खजाने को चूना लगाया। गुरुवार शाम सेंट्रल थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच तेज कर दी।
एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान हुआ खेल
कालिंदी कुंज से मुंबई तक बनने वाले दिल्ली–मुंबई लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था। सर्विस लेन के चौड़ीकरण के लिए एक किसान की जमीन के पास कुल 93 पेड़ प्रभावित हो रहे थे। एनएचएआई के निर्देश पर वन विभाग ने मूल्यांकन कर 93 पेड़ों की रिपोर्ट जिला राजस्व विभाग को भेजी थी।
असली फाइल गायब, फर्जी हस्ताक्षर से नई रिपोर्ट
जांच में सामने आया कि वन विभाग के क्लर्क उमर मोहम्मद, राजस्व विभाग के पटवारी विजेंद्र और सुभाष, निरीक्षक हेमराज तथा किसान रविंद्र सिंघाल ने मिलकर असली फाइल गायब कर दी। इसके बाद डीएफओ के फर्जी हस्ताक्षर कर 93 की जगह 768 पेड़ों की मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर राजस्व विभाग में जमा करा दी गई, जिसके आधार पर 15.36 लाख रुपये का मुआवजा जारी कर दिया गया।
हस्ताक्षर मिलान में फर्जीवाड़ा उजागर
वन विभाग द्वारा जब डीएफओ की मूल रिपोर्ट और राजस्व विभाग में जमा रिपोर्ट के हस्ताक्षरों का मिलान कराया गया, तो वे फर्जी पाए गए। 8 अप्रैल 2025 को वन विभाग ने इस संबंध में जिला राजस्व अधिकारी को पत्र भेजा। प्राथमिक जांच में यह भी सामने आया कि उप वन संरक्षक कार्यालय और जिला राजस्व कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा फर्जी पत्र जारी होना संभव नहीं था।
हाईकोर्ट से डीसीपी तक पहुंचा मामला
मुआवजा लेने वाला किसान पहले हाईकोर्ट पहुंचा, जहां वन विभाग ने अपना पक्ष रखते हुए मामला खारिज करा दिया। इसके बाद डीसी कोर्ट के आदेश पर जांच डीसीपी सेंट्रल को सौंपी गई। पुलिस की प्रारंभिक जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई।
पुलिस का बयान
सेंट्रल थाना प्रभारी रणधीर सिंह ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और पूरे नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है। जल्द ही और भी नाम सामने आ सकते हैं।
यह मामला न केवल सरकारी प्रक्रियाओं में सेंधमारी का गंभीर उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह मिलीभगत से विकास परियोजनाओं में मुआवजे के नाम पर बड़ा घोटाला अंजाम दिया गया।