Tuesday, December 16

जज के खिलाफ ही आदेश, मंत्री पर FIR… सात महीने में कड़क फैसलों से जस्टिस श्रीधरन ने छोड़ी छाप, विदाई पर हुए भावुक

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जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के प्रशासनिक जस्टिस अतुल श्रीधरन का ट्रांसफर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो गया है। गुरुवार को हाईकोर्ट के कोर्ट रूम नंबर एक में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की उपस्थिति में उनका विदाई समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर जस्टिस श्रीधरन भावुक नजर आए और अपने सात महीने के कार्यकाल में दिए गए अहम फैसलों की याद दिलाते हुए क्षेत्रवासियों और न्यायिक समाज को प्रेरित किया।

जस्टिस श्रीधरन मार्च 2025 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट आए थे और केवल सात माह में ही उन्होंने कई कड़क और संवेदनशील फैसले दिए। इनमें प्रमुख हैं:

  • मंत्री विजय शाह के खिलाफ 24 घंटे में FIR दर्ज करने का आदेश।
  • दमोह में OBC वर्ग के युवक से पैर धुलवा कर पानी पीने पर मजबूर करने वालों पर NSA की कार्रवाई।
  • ग्वालियर हाईकोर्ट के जज द्वारा जिला न्यायालय में पदस्थ न्यायाधीश पर टिप्पणी के मामले को सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश।

विदाई समारोह में जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि उन्हें देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट में काम करने की उत्सुकता है। तबादले को प्रक्रियागत बताते हुए उन्होंने राहत इंदौरी का शेर पढ़ा
“आज साहबे मसनद हैं, कल नहीं होंगे, किराएदार हैं, जाती मकान थोड़े हैं।”

जस्टिस श्रीधरन का परिचय:
जन्म 24 मई 1966 को, श्रीधरन ने 1992 में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के चैंबर से अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। 1997 से 2000 तक उन्होंने दिल्ली में स्वतंत्र प्रैक्टिस की। 2001 में इंदौर आकर उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष लगातार प्रैक्टिस की। 7 अप्रैल 2016 को उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 17 मार्च 2018 को वे स्थायी न्यायाधीश बने।

सम्मान और स्वागत:
विदाई समारोह में अधिवक्ताओं की भारी उपस्थिति रही। केंद्रीय सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सुनील जैन, अतिरिक्त महाधिवक्ता जान्हवी पंडित, स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राधेलाल गुप्ता, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने जस्टिस श्रीधरन के व्यक्तित्व और न्यायिक योगदान की सराहना की। चीफ जस्टिस सचदेवा ने कहा कि उनका योगदान विशेष रूप से वंचित और कमजोर वर्ग के लिए उल्लेखनीय रहा।

गौरतलब है कि जस्टिस श्रीधरन के स्थानांतरण के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 53 स्वीकृत पदों में से केवल 43 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं।

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