Tuesday, December 16

सोयाबीन एवं दलहन के आयात पर लगे रोक : किसानों के हित में कठोर नीति की मांग

उज्जैन। विदेशों से पाम तेल एवं तिलहनों के बढ़ते आयात से देश के तिलहन उत्पादक किसानों और ऑयल मिलों की कमर टूटती जा रही है। किसान जहाँ लागत निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं आयातित तेल और दालें बाजार में भाव गिरा रही हैं। परिणामस्वरूप किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा और उनकी आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है।

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सपाक्स पार्टी ने इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए केंद्र सरकार से आयात नीति में तत्काल सुधार की मांग की है। पार्टी के प्रवक्ता जे.आर. माहुरकर ने बताया कि सपाक्स पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व आईएएस डॉ. हीरालाल त्रिवेदी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर किसानों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।

किसानों को भाव नहीं, आयात को बढ़ावा

डॉ. त्रिवेदी ने अपने पत्र में कहा है कि जैसे ही सोयाबीन, तिलहन या दलहन फसलों के भाव बढ़ने की संभावना होती है, केंद्र सरकार आयात लाइसेंस जारी कर देती है। अरहर, मसूर, उड़द, चना और मटर जैसी दलहनों का भारी मात्रा में आयात देशी उत्पाद पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।

स्थिति यह है कि मक्का तक बाहरी देशों से मंगाई जा रही है। इससे देश के किसानों में असंतोष बढ़ रहा है और वे दालों व तिलहनों की खेती घटाते जा रहे हैं।

निर्यात पर रोक, किसान दोहरी मार झेल रहे

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि प्याज के निर्यात पर रोक के कारण किसानों की उपज गोदामों एवं खेतों में सड़ रही है। इसके साथ ही लहसुन के भी दाम प्रभावित हो रहे हैं।
इसी प्रकार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध से सरकारी गोदामों में रखा गेहूं खराब होने की कगार पर है, जिससे किसान और सरकार दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है और विदेशी मुद्रा अर्जन भी रुक रहा है।

आयात नीति कठोर और निर्यात नीति सरल बनाने की सलाह

सपाक्स पार्टी का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में किसानों की आय दोगुनी करना चाहती है, तो तिलहन एवं दलहन फसलों के आयात पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाएं या आयात ड्यूटी बढ़ाई जाए।
देश में उत्पादित मूंग की पर्याप्त मात्रा होने के बावजूद निर्यात की व्यवस्था न होना भी किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।

3 वर्ष में किसानों की आय दोगुनी होने का दावा

डॉ. त्रिवेदी ने दावा किया है कि यदि केंद्र सरकार उनके सुझावों के आधार पर कृषि नीति बनाती है तो 3 वर्षों में किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। इससे कृषि आधारित उद्योग और व्यापार में तेजी आएगी और देश की आर्थिक प्रगति में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।

अन्यथा, उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में केंद्र सरकार को किसानों के बढ़ते आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।

देश के अन्नदाता को सही दाम और स्थायी सुरक्षा मिल सके, इसके लिए आयात–निर्यात नीति में समय रहते निर्णायक कदम उठाना अब अत्यंत आवश्यक हो गया है।

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