Thursday, December 18

115 साल बाद फिजी से लौटे परपोते, पैतृक गांव में छलक उठीं आंखें

बस्ती: खून के रिश्ते की ताकत अद्भुत होती है। सालों बाद भी दूर रह रहे अपनों से मिलने की चाह इंसान को बेचैन कर देती है। कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला बस्ती के बनकटी विकास खंड क्षेत्र के कबरा गांव में, जब 115 साल बाद फिजी से रविंद्र दत्त और उनकी पत्नी केशनी हरे अपने पैतृक गांव पहुंचे। अपनों से मिलने पर उनकी आंखें भावनाओं से छलक उठीं।

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परिवार का इतिहास

रविंद्र दत्त के परदादा गरीब राम 1910 में अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान गिरमिटिया मजदूर बनाकर फिजी भेजे गए थे। वहां उनके परदादा और उनका परिवार बस गया और भारत लौट नहीं सके। कई सालों तक जानकारी जुटाने के बाद रविंद्र को अपने परदादा का इमिग्रेशन पास मिला, जिसमें उनके जीवन और फिजी बसने की पूरी जानकारी दर्ज थी।

भारत में जुटाई जानकारी

रविंद्र दत्त ने 2019 में भारत आकर अपने परिवार की खोज शुरू की। इस दौरान वह अयोध्या गए और भगवान राम से मन्नत मांगी कि उन्हें बिछड़े परिवार से मिलाया जाए। इंटरनेट और लोगों से जानकारी जुटाने के कई सालों बाद रविंद्र और केशनी शुक्रवार को कबरा पहुंचे। यहां उन्होंने गरीब राम के नाती भोला चौधरी, गोरखनाथ, विश्वनाथ, दिनेश, उमेश, रामउग्रह सहित परिवार के अन्य सदस्यों से मुलाकात की।

छठी पीढ़ी से बंधा नया नाता

115 साल बाद अपने परिवार की छठी पीढ़ी से मिलने के बाद रविंद्र दत्त ने उन्हें फिजी आने का न्योता दिया। रविंद्र ने कहा, “अब भारत से हमारा गहरा नाता बन गया है। हर सुख-दुख में हम अपने परिवार के पास आते रहेंगे।”

गांव वालों की खुशी

गांव के प्रधान प्रतिनिधि रवि प्रकाश चौधरी ने बताया कि जैसे ही उन्हें पता चला कि फिजी से लोग आए हैं और अपने परिवार की तलाश कर रहे हैं, उन्होंने पूरी मदद की। रविंद्र ने अपने भाइयों के साथ फोटो ली, प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के साथ समय बिताया और गांव की यादों को कैमरे में कैद कर वापस फिजी लौट गए।

रविंद्र और केशनी का यह भावनात्मक मिलन यह याद दिलाता है कि सदीयों बाद भी रिश्तों की गर्माहट और परिवार की अहमियत कभी नहीं खोती।

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