Thursday, December 18

गुजरात: पूर्व IAS अधिकारी को 1.20 करोड़ का नुकसान पहुँचाने पर 5 साल की कैद और जुर्माना

अहमदाबाद: गुजरात की एक विशेष PMLA कोर्ट ने भुज भूमि आवंटन घोटाले में पूर्व जिला कलेक्टर प्रदीप निरंकनाथ शर्मा को दोषी ठहराते हुए 5 साल की सजा और 50,000 रुपये जुर्माना सुनाया है। कोर्ट ने साथ ही केंद्र सरकार को उनकी 1.32 करोड़ रुपये की जब्त संपत्ति देने का आदेश दिया, जो ईडी ने पिछले दशक में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान जब्त की थी।

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भुज भूमि आवंटन घोटाले का मामला

71 वर्षीय प्रदीप शर्मा 2003 से 2006 तक कच्छ के जिला कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट लैंड प्राइसिंग कमेटी (DLPC) के चेयरमैन थे। उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने वेलस्पन इंडिया लिमिटेड और समूह की कंपनियों को सरकारी जमीन सस्ते दर पर आवंटित कर गुजरात सरकार को 1.20 करोड़ रुपये का नुकसान पहुँचाया।

ईडी की जांच और कोर्ट का फैसला

ईडी ने जांच में पाया कि तत्कालीन कलेक्टर ने अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग कर अवैध आर्थिक लाभ प्राप्त किया। कोर्ट ने कहा कि प्रदीप शर्मा द्वारा किया गया कृत्य भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत अलग-अलग अपराध हैं।

कोर्ट ने उनके अगली सजा को पिछली सजा के साथ चलाने की अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए सजा में एकरूपता का कोई औचित्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले किया था अपील खारिज

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदीप शर्मा की डिस्चार्ज याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। अवैध लाभ जब तक अर्थव्यवस्था में वैध रूप में शामिल नहीं होता, अपराध लगातार जारी रहता है।

विशेष अदालत ने स्पष्ट किया कि पूर्व आईएएस अधिकारी का पद और अधिकार भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दुरुपयोग किया गया, और इस अपराध की गंभीरता को देखते हुए कड़ी सजा दी गई है।

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