Thursday, December 18

झूठे केस, जली हुई झोपड़ी और पिता का दर्द… किसान के बेटे जैनेंद्र की जंग जीती, बनी DSP की प्रेरक कहानी

किसान का बेटा… पिता पर झूठा केस… घर पर हमला… लूटपाट… आगजनी… और फिर जेल!
लेकिन इन सबके बावजूद जैनेंद्र कुमार निगम की हिम्मत नहीं टूटी। जीवन ने उन्हें हर मोड़ पर परखा, पर उन्होंने हार मानना नहीं सीखा। आज वही जैनेंद्र MPPSC में 12वीं रैंक लाकर DSP बने हैं, और उनकी कहानी पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।

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सरकारी स्कूल से पढ़ाई, किसान का बेटा और संघर्षों की शुरुआत

जैनेंद्र के पिता केशव कुमार किसान हैं और माता कुसुम देवी गृहणी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा जैनेंद्र ने गांव के सरकारी स्कूल से ही पूरी की। सीमित संसाधन और साधारण जीवन के बावजूद उनके सपनों की उड़ान हमेशा ऊंची रही।

वो घटना जिसने पूरी जिंदगी बदल दी

गांव में उनकी जमीन और परिवार की स्थिति से ईर्ष्या रखने वाले कुछ लोगों ने उन पर दबाव बनाना शुरू किया।
जब जैनेंद्र के परिवार ने जमीन देने से इनकार किया, तब उनके घर पर हमला किया गया,
लूटपाट की गई,
आग लगा दी गई,
और पिता के साथ बेरहमी से मारपीट की गई।

सबसे दर्दनाक यह कि उसी परिवार के खिलाफ झूठी FIR दर्ज करा दी गई।
जैनेंद्र, उनके पिता और भाई को जेल तक जाना पड़ा।

जेल से निकलकर फिर खड़े हुए—और शुरू हुई असली जंग

जनवरी 2021 में बेल पर बाहर आने के बाद जैनेंद्र ने ठान लिया कि अब वह अपने पिता का दर्द मिटाकर रहेंगे।
इसी संकल्प के साथ वे इंदौर गए और MPPSC की तैयारी शुरू की।

चुनौतियाँ कम नहीं थीं—
आर्थिक दिक्कत, मानसिक तनाव, समाज की ताने… लेकिन जैनेंद्र रुके नहीं।

बिना कोचिंग 7–8 घंटे की पढ़ाई—तीन सरकारी नौकरियाँ हासिल

उन्होंने पूरी तैयारी ऑनलाइन मॉक टेस्ट और इंटरव्यू प्रैक्टिस से की।

  • राज्य सेवा परीक्षा 2020—नायब तहसीलदार चयनित
  • वन सेवा 2020—रेंजर चयनित (ज्वाइन नहीं किया)
  • राज्य प्रशासनिक सेवा 2022—सहायक संचालक चयनित (ज्वाइन नहीं किया)

2024 में अदालत ने सभी झूठे केस से उन्हें बरी कर दिया।

MPPSC 2023 में 12वीं रैंक, बना DSP

कड़ी मेहनत, मजबूत मानसिकता और परिवार की प्रेरणा ने आखिरकार सफलता दिलाई।
नवंबर 2025 में आए रिजल्ट में जैनेंद्र ने MPPSC में 12वीं रैंक हासिल कर DSP बनकर अपने पिता का दर्द मिटा दिया।

“पापा… आपका बेटा DSP बन गया” — भावुक कर देने वाला पल

रिजल्ट आने के बाद जैनेंद्र ने पिता को फोन कर यही कहा।
उनकी आवाज में गर्व था… और पिता की आंखों में आंसू—खुशी के।

जैनेंद्र की कहानी क्यों है ख़ास?

  • सीमित साधनों के बावजूद बड़ा मुकाम हासिल किया
  • जेल जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी
  • बिना कोचिंग लगातार पढ़ाई कर सफलता पाई
  • अन्याय के खिलाफ खड़े होकर सम्मान वापस हासिल किया

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