Wednesday, December 17

रांची राजभवन का नाम अब ‘लोक भवन’, भूमिगत सुरंग का रहस्य बना हुआ है कायम

रांची: केंद्र सरकार के निर्णय के बाद झारखंड के रांची और दुमका स्थित राजभवन का नाम बदलकर लोक भवन कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी के हस्ताक्षर से 3 दिसंबर को अधिसूचना जारी की गई, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।

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औपनिवेशिक मानसिकता को दूर करना मकसद
केंद्र सरकार ने राजभवनों के नाम बदलने का उद्देश्य औपनिवेशिक मानसिकता को दूर करना बताया है। इसी क्रम में देश के सभी राज्यों में राजभवन का नाम लोक भवन किया गया है। लद्दाख के उपराज्यपाल निवास का नाम अब लोक निवास होगा।

इतिहास और वास्तुकला
रांची राजभवन का इतिहास लगभग 95 साल पुराना है। यह भवन 1930 में ब्रिटिश शासनकाल में बनना शुरू हुआ और 1931 में तैयार हुआ। उस समय रांची, एकीकृत बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी था। भवन के वास्तुकार सैडलो बलार्ड थे।

राजभवन की ब्रिटिश वास्तुकला इसे विशेष बनाती है। भवन की छत 18–20 फीट ऊंची और दीवारें 14 इंच मोटी हैं, जिससे गर्मी में भी ठंडक बनी रहती है।

भूमिगत सुरंग का रहस्य
राजभवन पूरे देश की गिनी-चुनी इमारतों में से एक है, जिसे गुप्त भूमिगत सुरंगों से जोड़ा गया था। दरबार हॉल और डाइनिंग हॉल के पास इसके द्वारों के निशान मौजूद हैं, लेकिन सुरंग कहां तक जाती है, यह आज भी रहस्य बना हुआ है।

विशाल परिसर और एंटीक वस्तुएं
लोक भवन का पूरा परिसर 62 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 52 एकड़ मुख्य भवन परिसर और 10 एकड़ में प्राचीन ऑड्रे हाउस शामिल है। भवन में कई एंटीक वस्तुएं सुरक्षित रखी गई हैं, जैसे ब्रिटिश कालीन केरोसिन पंखा और रेफ्रिजरेटर।

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