Wednesday, December 17

ट्रंप की चावल पर टैरिफ धमकी: भारत पर असर नगण्य, अमेरिकी उपभोक्ता भुगतेंगे कीमत

नई दिल्ली: भारतीय चावल निर्यातकों ने अमेरिका की ओर से अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया है। उनका मानना है कि अमेरिका को होने वाला निर्यात देश के कुल निर्यात का एक बहुत छोटा हिस्सा है, इसलिए इसका भारतीय व्यापार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

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आईआरईएफ के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने बताया कि भारत से अमेरिका में निर्यातित बासमती चावल कुल 60 लाख टन वार्षिक निर्यात का केवल तीन फीसदी से भी कम है। भारत के कुल चावल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी एक फीसदी से कम है।

गर्ग ने कहा, “अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता भी है, तो इसका प्रभाव अमेरिकी खरीदारों और उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा, न कि भारतीय व्यापार पर। भारत लगातार नए बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है।” उन्होंने अमेरिका के चावल ‘डंपिंग’ के आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया।

उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की धमकी राजनीतिक बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने भी कहा कि यह संकेत किसी बड़े नीतिगत बदलाव का नहीं, बल्कि राजनीतिक तनाव का है।

राइसविला ग्रुप के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा, “अमेरिका में भारतीय बासमती और प्रीमियम गैर-बासमती चावल एशियाई और पश्चिमी एशियाई समुदायों के लिए जरूरी भोजन हैं। ये विलासिता का सामान नहीं। टैरिफ बढ़ाने का बोझ अमेरिकी उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा।”

उन्होंने बताया कि अमेरिका को सालाना लगभग 27 लाख टन भारतीय चावल का आयात होता है, जो वैश्विक बाजार में भारत की उपस्थिति के हिसाब से नगण्य है। पिछले छह महीनों में टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी तक पहुँच गया है, फिर भी अमेरिकी बाजार में मांग पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।

निर्यातक आश्वस्त हैं कि भारत का चावल व्यवसाय मजबूत है और कोई भी नई टैरिफ नीति इसका संतुलन बिगाड़ नहीं सकती।

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